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आनन्दाष्टकम् (शिवजी उपाध्यायविरचितम्) | Anand ashtakam

आनन्दाष्टकम् 
    सानन्दमानन्दमयि ! त्वमारात्
          कारुण्यवारान्निधिसन्निधानात् ।
    स्नेहस्रवत्पूरमपूर्वमुद्यद्-
          हृद्यं दयावारि दृशाऽभिसिञ्च ॥ १॥ 
हे माता आनन्दमयी! तुम मुझमें, करुणासागर की समीपता से, गिरते स्नेह धार वाले, अपूर्व, उदीयमान हृद्य दयावारि को दृष्टिपात द्वारा सीञ्चो ॥ १॥

    आनन्दकन्दोद्गतसाधानाम्भः-
          सिक्तोदितामन्दसुरद्रुवल्ली ।
    सानन्दमानन्दमयीतिनाम्ना
          लोकाश्रयाऽमोघफल…